संपादकीय: जिस देश में
जिस देश में नारी के प्रत्येक स्वरूप की पूजा की जाती है वहीं उसी देश में कुछ बेशर्म स्त्री तथा उसके जंगली जानवरों से भी बर्बर और घिनौने नुमाइंदे देश के कलंक होकर स्वतंत्र जीवित हैं। जिस भारत ने समूची दुनियाँ को सभ्यता, अनुशासन और भाई - चारे का संदेश दे विश्ववंधुत्व का मंत्र दिया है वहीं आज घुसपैठिए दरिंदों, देश के गद्दार कुछ कांग्रेसी नेता, वामपंथी विचारधारा वाले चीन और पाकिस्तान के नुमाइंदे नेता, राउल विंची, ममता एवम प्रियंका ऐसी प्रपंची संवेदना विहीन औरतों के कारण निरंतर विभाजनकारी, विध्वंसक कुचक्रों के कारण लहू - लुहान है।
यद्यपि कांग्रेस के नेहरू -खान वंशजों का राजनीतिक उन्नयन ही लाशों के ढेरों पर चढ़ कर हुआ है, परन्तु आज के हालत में जब जनता ने उन्हें सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा दिया है तब भी ये अपनी कुचालों से तौबा नहीं करना चाहते हैं। निरंतर निम्न से निम्नतर स्तर की घटिया राजनीति, झूठ बोलना, अफवाहें फैलाना, अपने कुकर्मों के लिए अन्य को दोषी ठहराना इनकी आदत बन गई है।
वर्तमान सत्तारूढ़ सरकार यदि देश की भलाई के लिए, जनता की भलाई के लिए, स्त्री- सुरक्षा के लिए, मूल निवासी हिन्दुओं की सुरक्षा के लिए, आतंकवादियों पर नकेल कसने के लिए, अपराधी एवम घुसपैठिए रोहिंज्ञाओं को देश से निकालने के लिए, निरंतर जबरन जमीन कब्जा वाले वक्फ बोर्ड पर कुछ सख्त कानून बनाना चाहती हैं तो कांग्रेस नेता, नुमाइंदे, वकील उसमें अड़चनें डालने के लिए सड़क से उच्चतम न्यायालय तक पहुंच जाते हैं। वामपंथी विचारधारा धारा वाले अपराधियों, बलात्कारियों, भ्रष्टाचारियों को बचाने वाले बेशर्म वकीलों ने देशद्रोहियों और कुकर्मियों के मनोबल को बढ़ाया है।
जग जाहिर है कि ऐसे जज एवम वकील जो पैसों के लिए अपनी आत्मा तक को बेच देते हैं नीच और गद्दारों की श्रेणी में ही आते हैं। ऐसे नेताओं, जजों तथा वकीलों काम ही है .."जमीन तथा जनता को गिरवी रखना, देश को आर्थिक रुप से दिवालिया बनाना, देश की नैतिकता की बलि चढ़ा, देश को बर्बादी या गृहयुद्ध की ओर धकेलना विभिन्न प्रकार के कुचक्र रचना और उसे कार्यान्वित करने में लगे रहना।"... ध्यान से देखा जाए तो देश के अपराधियों, माफियाओं, देश के अवैध घुसपैठियों, रोहिंग्याओं को संरक्षण देने वाले नेता, वकील, जज तथा इनसे जुड़े सरकारी नुमाइंदे भी देश के दुश्मन ही हैं। उन्हें सामान्य अपराधियों से ज्यादा कड़ी सजा मिलनी चाहिए।
अपने देश की विडंबना है कि यहां कानून के जाल में छोटे - मोटे अपराधी, कभी कभी निरपराधी भी फंस कर दम तोड़ देते हैं परन्तु मुख्य- मुख्य बड़े और ताकतवर अपराधी कानून के जालों को नेस्तनाबूत कर स्वतंत्र हो पूर्ववत आपराधिक कार्यों में लिप्त हो और भी भयानक दुर्दांत बलवान अपराधी बन सामान्य जनता पर कहर ढाते है। सिसकता तड़पता,जलता बंगाल, मुफ्त की रेवड़ियां तथा बैंक खाते में खटाखट लाखों देने का झूठा वादा करने वाली दिवालिया कांग्रेस शासित प्रदेश वर्तमान का ज्वलंत उदाहरण है।